प्लास्टिक नियंत्रण है पृथ्वी संरक्षण

प्लास्टिक नियंत्रण है पृथ्वी संरक्षण

पर्यावरण संबंधी समस्याओं को ले कर आज पूरा विश्व चिंतित है। सभी वैश्विक मंचो पर इस बारे में प्रमुखता से बात हो रही है। देश विशेषत: ‘प्लास्टिक प्रदूषण’ से उत्पन्न विनाशकारी समस्याओं से जूझ रहा है, इसके कारण देश का वातावरण प्लास्टिक प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हर जगह, विशेष रूप से शहरों के बाहर डंपिंग ग्राउंड्स प्लास्टिक कचरे से भरे दिखाई देते है I सभी महानगर कूड़े के इन बड़े-बड़े पहाड़ों से परेशान हैं I

शुरू में प्लास्टिक का निर्माण हमने अपनी सुविधा के लिए किया था लेकिन सुविधा के चलते इसका प्रयोग दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि हम पॉलीथीन या प्लास्टिक के युग में रह रहे हैं। प्लास्टिक एक ऐसी वस्तु बन गई है जो पूजा, रसोईघर, बाथरूम, कमरे आदि से लेकर हर जगह इस्तेमाल होने लगा है। इतना ही नहीं अगर हमें बाजार से राशन, फलों, सब्जियां, कपड़े, जूते, दूध, दही, तेल, घी और फलों का रस आदि जैसे किसी भी वस्तु को लेकर आना पड़े तो पॉलीथीन का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। चूंकि, प्लास्टिक स्वाभाविक रूप से विघटित नहीं होता है इसलिए यह प्रतिकूल तरीके से नदियों, महासागरों आदि के जल-जीवन और पर्यावरण को प्रभावित करता है।

यह नालियों को रोकता है और वातावरण को प्रदूषित करता है। इसका मुख्य कारण लापरवाही है, इसका सही तरह से निस्तारण ना किया जाना। यह प्रदूषण मुख्य रूप से घरेलू कचरे से आता है, जिसे खराब तरीके से पुनर्नवीनीकरण किया जाता है, लैंडफिल में डंप किया जाता है या प्रकृति में छोड़ दिया जाता है। दिल्ली या अन्य महानगरों के लैंडफिल में आग लगने की घटनाओ में दिन प्रतिदिन सुनने को मिलती रहती हैं। हम अक्सर बचे खाद्य पदार्थों को पॉलीथीन में लपेट कर फेंकते हैं तो पशु उन्हें ऐसे ही खा लेते हैं जिससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। प्लास्टिक प्रदूषण के कारण लाखों पशु-पक्षी वैश्विक स्तर पर मारे जाते हैं। समुद्री जीव प्लास्टिक को खाना समझकर खा लेते हैं जिसके कारण इनके फेफड़ों या फिर श्वास नली में यह प्लास्टिक फंस जाता है और उनकी मृत्यु हो जाती है। जिसके कारण आए दिन समुद्री जीवो की जनसंख्या कम हो रही है। प्लास्टिक प्रदूषण को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए, विशेषत: 'सिंगल यूज प्लास्टिक' के उपयोग को कम करने की अत्यधिक आवश्यकता है। पुन: उपयोग भी इस समस्या को काफी हद्द तक कम कर सकता है। बहुत सारे अवगुण होने के बावजूद 'पुन: उपयोग' के रूप में प्लास्टिक में एक गुण भी है । कई प्लास्टिक वस्तुओं का पुन: उपयोग किया जा सकता है या विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा सकता है।

प्लास्टिक की वस्तुओं को फेंकने से पहले इस बात पर विचार करना जरूरी है कि उनका पुन: उपयोग कैसे किया जा सकता है। इससे समग्र रूप से बहुत प्रभाव पड़ेगा । प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा कर इसे दुबारा उपयोग में लाये जाने योग्य बनाने का प्रयास करना चाहिए ताकि अपशिष्ट कचरे के रूप में प्लास्टिक की मात्रा को कम किया जा सके। भारत सरकार भी इस विषय पर बहुत गंभीरता से काम कर रही है बहुत से राज्यों में सिंगल यूज़ प्लास्टिक को बैन भी किया गया है लेकिन, हम सभी को भी एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते अपने अपने स्तर पर पर्यावरण की सुरक्षा व इसकी समस्याओं पर गम्भीरता से काम करने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें विशेषज्ञ होने की आवश्यकता नही है।

प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए हम सब को आगे आना होगा और हर किसी को अपने स्तर पर इसका निपटान करने में शामिल होना होगा, चाहे वह बच्चा हो या बुजुर्ग, शिक्षित हो या अशिक्षित, समृद्ध हो या गरीब, शहरी हो या ग्रामीण, सभी को प्लास्टिक के खतरे से छुटकारा पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। एक सामान्य नागरिक के रूप में भी यदि हम अपनी दिनचर्या में छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें तो ये बड़ा बदलाव ला सकतीं है। हम सभी को अपनी रोज़मर्रा की आदतों को बदलना होगा उदाहरण-स्वरूप जब भी आप कोई वस्तु खरीदने जाए तो कपड़े का थैला अपने साथ लेकर जाएं जिससे कि आपको प्लास्टिक की थैलियों में सामान नहीं लाना पड़े। इस तरह की आदतों में यदि हम बदलाव लाएँगे तो प्लास्टिक की थैलियों की आवश्यकता दिन-प्रति दिन कम हो जाएगी और एक समय आएगा जब पर्यावरण से पॉलीथीन का सफाया हो जाएगा। प्लास्टिक का निम्नतम उपयोग व केवल तभी प्लास्टिक का उपयोग करना जब इसकी अत्यधिक आवश्यकता हो।

प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का बहिष्कार करें विशेष रूप से खाने की वस्तुओं के लिए स्टील या फिर मिट्टी के बर्तनों को प्राथमिकता दें क्योकि प्लास्टिक के बर्तनों व बोतलों के माध्यम से हानिकारक पदार्थ हमारे शरीर में पहुँच रहे है व नई नई गंभीर बीमारियों को जन्म दे रहे है।प्लास्टिक के दुष्प्रभाव का प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए जिससे कि लोगों द्वारा इसको कम उपयोग में लिया जाए विशेषत: नई पीढ़ी को प्लास्टिक के दुष्प्रभाव के बारे में शिक्षित करना आवश्यक है ताकि, उन्हे पता चल सके की प्लास्टिक हमारे जीवन के लिए कितना हानिकारक हैI ऐसा करने से वह बचपन से ही प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल करने लगेंगे। आने वाली पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए हमें आज ही से ये प्रयास शुरू करने होंगे I

गौरव चाँदना "ग्रीन मैन" लेखक के विषय में :

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दिल्ली शहर दुनिया के सब से प्रदूषित शहरों की लिस्ट निरंतर बना रहता है, इस स्थिति को सुधारने में सरकारी
अभियानों के साथ साथ निजी स्तर पर भी बहुत योगदान की आवश्यकता है। सभी को अपने अपने स्तर पर इस
बदलाव के लिए अपना योगदान सुनिश्चित करना होगा। इसी सोच के चलते विकासपुरी नई दिल्ली के ‘ग्रीन मैन’ गौरव
चाँदना जो उत्तर रेलवे मुख्यालय में वरिष्ठ अनुभाग अधिकारी के पद पर कार्यरत है, अपने स्तर पर दिल्ली को हरा भरा
बनाने में अपना योगदान दे रहे है।

पिछले कई वर्षों में उन्होंने अपने आस-पास की विभिन्न जगहों पर असंख्य, पर्यावरण को स्वच्छ करने वाले पौधे लगाये
हैं। इन पौधों की नियमित देखभाल के अतिरिक्त, किसी भी डिवाइडर या सार्वजनिक स्थान पर यदि कोई पौधा सूख रहा
हो तो उसे पानी देने के लिए उनकी कार में हमेशा 2-3 पानी से भरे कैन होते है। इनके अनुसार सभी लोगों को अपने व
अपने प्रियजनों के जन्मदिन पर पेड़ पौधे लगाने की परंपरा शुरू की जानी चाहिए। प्रकृति से जुड़ाव के लिए पड़ोस के
सभी मित्रो व बच्चों को भी इन्होंने इस हरित अभियान में शामिल कर लिया है।

इस तरह पर्यावरण को संरक्षित कर वे ना केवल महत्वपूरण सामाजिक योगदान दे रहे है बल्कि बहुत से लोगो के लिए
‘ग्रीन मैन’ के रूप में एक प्रेरणास्रोत भी बन रहे है।
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This World Environment Day (5th June 2023), join Rolling Nature's month-long campaign to take action for our planet. 🌱

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